नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा (बाएं) केपी ओली (बीच में) और मौजूदा पीएम प्रचंड (दाएं)।
काठमांडूः नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की कुर्सी पर भयंकर खतरा मंडरा गया है। उन्हें एक बार फिर शुक्रवार को विश्वासमत का सामना करना पड़ेगा। वहीं प्रचंड को विश्वासमत हासिल करने से पहले नेपाली कांग्रेस और ‘सीपीएन-यूएमएल’ के नेताओं के बीच नई सरकार के गठन को लेकर कवायद तेज कर दी है। नेपाल के पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा और केपी ओली ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के शुक्रवार को होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले नई गठबंधन सरकार के गठन को लेकर बातचीत की।
सत्तारूढ़ गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी के पी शर्मा ओली नीत ‘सीपीएन-यूएमएल’ ने पिछले सप्ताह प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और नेपाली कांग्रेस के साथ सत्ता साझेदारी संबंधी समझौता किया था। माना जा रहा है कि दहल विश्वास मत हासिल नहीं कर पाएंगे। नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास फिलहाल 89 सीट हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीट हैं। निचले सदन में 138 सीटों के बहुमत के मुकाबले दोनों दलों के पास कुल 167 सदस्य हैं।
प्रचंड की पार्टी के पास हैं सिर्फ 32 सीटें
प्रचंड की पार्टी के पास 32 सीट हैं। सदन में बहुमत के लिए 138 सीटों का होना जरूरी है। ‘सीपीएन-यूएमएल’ अध्यक्ष ओली ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा से बुधवार को मुलाकात की। काठमांडू के बाहरी इलाके बुधनीलकांठा में देउबा के आवास पर हुई दो घंटे की बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने ओली के नेतृत्व वाले नए गठबंधन के पक्ष में हस्ताक्षर लेने और इसे राष्ट्रपति को सौंपने जैसे मामलों पर चर्चा की। दोनों दलों ने संसद के शेष बचे तीन साल के कार्यकाल के लिए बारी-बारी से सरकार का नेतृत्व करने संबंधी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के अनुसार, ओली पहले चरण में डेढ़ साल के लिए प्रधानमंत्री बनेंगे। प्रचंड ने घोषणा की थी कि ‘सीपीएन-यूएमएल’ के आठ मंत्रियों के इस्तीफे के बाद भी वह पद नहीं छोड़ेंगे बल्कि संसद में विश्वास मत का सामना करेंगे। (भाषा)
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