Search
Close this search box.

‘जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश’ बेहद गहरा है 80 के दशक के इस गाने का मतलब, किसने लिखे हैं बोल?

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

mithun chakraborty- India TV Hindi

Image Source : INSTAGRAM
गुलामी फिल्म का गाना ‘जिहाल-ए-मिस्कीं’ आज भी पसंद किया जाता है।

दिवंगत महान गायिका लता मंगेशकर संगीत साम्रज्ञी, स्वर कोकिला सहित जाने कितने ही नामों से जानी गईं। इसकी वजह थी कि उन्होंने जिस भी गाने को छुआ वो सोना हो गया। ऐसा ही एक गाना है ‘जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश’। ये गाना आपने भी जरूर सुना होगा। ये गाना 1985 में जेपी दत्ता के निर्देशन में बनी ‘गुलामी’ का है, जिसमें मिथुन चक्रवर्ती, धर्मेंद्र, अनीता राज, नसीरुद्दीन शाह, स्मिता पाटिल और रीना रॉय जैसे महान कलाकार मुख्य भूमिकाओं में थे। ये गाना मिथुन चक्रवर्ती और अनीता राज पर फिल्माया गया था, जिसे सुनकर आज भी दिल खुश हो उठता है। इस गाने को लता मंगेशकर ने गाया था और इसमें उनका साथ शब्बीर कुमार ने दिया था। वहीं इस गाने का म्यूजिक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने दिया था। आपने ये गाना तो खूब सुना होगा, लेकिन क्या ये जानते हैं कि इसके बोल किसने लिखे हैं और इस गाने का मतलब क्या है?

1985 में रिलीज हुई थी गुलामी फिल्म

आज भी ‘गुलामी’ फिल्म का ये गाना जब कहीं सुनाई दे जाता है तो एक अलग ही एहसास होता है। इस गाने की रचना गुलजार साहब ने की थी, जो साहित्य प्रेमियों के लिए एक अनमोल खजाना है। इस गाने का अर्थ भी बेहद गहरा है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि गुलजार साहब के जेहन में इस गाने के बोल कैसे आए। दरअसल, गुलजार साहब ने अमीर खुसरो की एक मशहूर गजल से प्रेरित होकर ये गाना लिखा था जो रिलीज के सालों बाद भी पॉपुलर है।

गुलामी फिल्म के फेमस गाने के बोल

अब बात करते हैं इस गाने के बोलों की। सालों से लोगों के जेहन में बसे इस गाने की रचना गुलजार साहब ने फारसी और ब्रजभाषा के मेल से की थी। बात की जाए अमीर खुसरो की कविता की तो इस कविता की पंक्तियां कुछ इस तरह हैं- 

अमीर खुसरो की लिखी पंक्तियां

‘ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, दुराये नैना बनाये बतियां… कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऐ जान, न लेहो काहे लगाये छतियां…’ जिसका अर्थ है- आंखों को चुराकर, बातें बनाकर मेरी उपेक्षा ना कर। बिछड़ने की तपन से ही मेरी जान निकल रही है। तुम मुझे अपनी बाहों में क्यों नहीं भर लेते।

गुलजार साहब के लिखे बोल

‘जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश, बेहाल-ए-हिजरा बेचारा दिल है… सुनाई देती है जिसकी धड़कन, तुम्हारा दिल या हमारा दिल है…’ और गुलजार साहब के लिखे गीत के बोल का अर्थ है- ‘मेरे दिल का ख्याल करो, इससे नाराजगी न जताओ> इस बेचारे दिल ने हाल में जुदाई का दर्द सहा है।’ हालांकि, 90 प्रतिशत लोग ऐसे होंगे, जिन्हें ये गाना तो बहुत पसंद आता होगा, इसके बोल भी दिल को छू जाते होंगे, लेकिन इन्हें इस गाने के बोल का अर्थ नहीं पता होगा।

Latest Bollywood News

Source link

India Hit News
Author: India Hit News

Leave a Comment

और पढ़ें