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‘जो कोई भी इससे पैसे कमा रहा है, वह इसे बड़े पैमाने पर प्रसारित नहीं करेगा’, नीट यूजी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी

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सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi

Image Source : FILE PHOTO
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी विवाद को लेकर आज सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग पैसे के लिए ऐसा कर रहे थे और जो कोई भी इससे पैसे कमा रहा है, वह इसे बड़े पैमाने पर प्रसारित नहीं करेगा। चीफ जस्टिस (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंट ने विवादों में घिरी नीट-यूजी 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर अहम सुनवाई की, साथ ही बेंच ने कहा कि इसके ‘सामाजिक प्रभाव’ हैं।

खुले ई-रिक्शा पर ले जाया गया पेपर

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील का कहना है कि एक खुले ई-रिक्शा पर एक ट्रंक को हज़ारीबाग के ओएसिस स्कूल में ले जाया गया, जहां स्कूल के प्रिंसिपल को यह ट्रंक मिला। सीलबंद ट्रंक उन्हें दिया गया था, किसी बैंक को नहीं। एनटीए द्वारा नीट-यूजी परीक्षा आयोजित करने में सिस्टमैटिक फेलियर है, यह फेलियर कई पैमाने पर है। वकील ने कहा कि प्रश्नपत्रों के ट्रांसपोर्टेशन में तब गड़बड़ी हुई जब 6 दिनों तक प्रश्नपत्र एक निजी कूरियर कंपनी के पास थे और प्रश्नपत्रों को हजारीबाग में ई-रिक्शा में ले जाया जा रहा था और वह चालक प्रश्नपत्रों को बैंक ले जाने के बजाय ओएसिस स्कूल ले गया।

टेलीग्राम वीडियो से मिले सबूत

याचिकाकर्ताओं के वकील ने आगे सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लीक हुए पेपर लीक होना 3 मई से ही शुरू हो गया था। उन्होंने कहा कि टेलीग्राम वीडियो से मिले सबूतों से पता चलता है कि हल किए गए पेपर 4 मई को फैलाए जा रहे थे। सोशल मीडिया के नेटवर्क को देखते हुए, लीक हुए पेपर और लाभार्थियों के सटीक स्प्रेड का सटीक निर्धारण करना असंभव है।

NEET परीक्षा को तमाशा बनाना नहीं है

इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी के ऐसा करने का उद्देश्य NEET परीक्षा को नेशनल लेवल पर तमाशा बनाना नहीं है। लोग पैसे के लिए ऐसा कर रहे थे। इसलिए, यह परीक्षा को बदनाम करने के लिए नहीं था और कोई व्यक्ति पैसे कमाने के लिए ऐसा कर रहा था, जो अब स्पष्ट है। पेपर के बड़े पैमाने पर लीक होने के लिए उस स्तर पर संपर्कों की भी आवश्यकता होती है ताकि आप विभिन्न शहरों आदि में ऐसे सभी प्रमुख संपर्कों से जुड़ सकें। जो कोई भी इससे पैसा कमा रहा है, वह इसे बड़े पैमाने पर नहीं फैलाएगा। आगे सीजेआई ने कहा कि आपके अनुसार छात्रों को सुबह 10.15 बजे पेपर मिला। इसमें 180 प्रश्न हैं। क्या यह संभव है कि सुबह 9.30 से 10.15 बजे के बीच कोई समस्या हल करने वाला हो और 45 मिनट में छात्रों को पेपर दे दिया जाए?

सॉलिसिटर जनरल ने दिए जवाब

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 7 पेपर हल करने वाले थे और उन्होंने 25-25 प्रश्न निर्धारित किए थे। सीजेआई ने कहा कि यह पूरी परिकल्पना कि 45 मिनट के भीतर कोई उल्लंघन हुआ और पूरा पेपर हल करके छात्रों को दे दिया गया, बहुत दूर की कौड़ी लगती है। अनुचित लाभ पाने वाले छात्रों की कुल संख्या 150 से अधिक नहीं होगी।

CJI ने एनटीए से पूछे सवाल

CJI ने पूछा कि गोधरा में 2 केंद्र, में 2513 परीक्षार्थी थे वहां से मेरिट में कितने छात्र आए? इस पर एनटीए ने जवाब दिया कि लगभग 18 उनका स्कोर भी औसत से कम है। फिर CJI ने पूछा कि गोधरा में कितने छात्रों ने अपना सेंटर बदला है? इस पर एनटीए ने कहा कि 14 को सेंटर बदलने की अनुमति दी गई। उन 14 में से किसी को भी प्रवेश नहीं मिल रहा है। गोधरा एक लोकल मामला था, कुछ होता उससे पहले गिरफ्तारी हो गई।

याचिकाकर्ता को दिए जवाब

याचिकाकर्ता ने इस पर कहा कि इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि तुषार भट्ट के पास हल किए गए प्रश्नपत्र थे। इस पर CJI ने याचिकाकर्ता से पूछा केवल हजारीबाग व पटना से मामले सामने आया है। क्या केवल इस आधार पर परीक्षा को रद्द किया जा सकता है। इस मामले पर सुनवाई अब सोमवार यानी 22 जुलाई को होगी।

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